किस ओर चली गयी मानव प्रवृत्ति, सुखमय जीवन से विलासी निवृत्ति। किस ओर चली गयी मानव प्रवृत्ति, सुखमय जीवन से विलासी निवृत्ति।
मेरा दुःख किसी को बता न सकता हूँ अपनी हाथों कुल्हाड़ी मार न सकता हूँ मेरा दुःख किसी को बता न सकता हूँ अपनी हाथों कुल्हाड़ी मार न सकता हूँ
. .
एकात्म आवाज प्राण पुकार मुक्तिबोध एहसास एकात्म आवाज प्राण पुकार मुक्तिबोध एहसास
कमजोर तू नहीं तेरा वक्त है, वक्त पर तुझे आईने बनते जाना है। कमजोर तू नहीं तेरा वक्त है, वक्त पर तुझे आईने बनते जाना है।
पर आत्माएं साथ रहेंगी अविराम हे ! मातृ-शक्ति तुझको प्रणाम। पर आत्माएं साथ रहेंगी अविराम हे ! मातृ-शक्ति तुझको प्रणाम।